भारतीय ज्ञान परम्परा’ (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) के सन्दर्भ की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

दिनांक 13/02/2024 को श्री श्री लक्ष्मी नारायण ट्रस्ट महिला महाविद्यालय धनबाद के सभागार में आई आई टी आई एस एम के‌ डाॅ प्रमोद‌ पाठक को ‘भारतीय ज्ञान परम्परा’ (राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) के सन्दर्भ में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्राचार्या डाॅ शर्मिला रानी ने शाल और पौधा देकर उन्हें सम्मानित किया।डाॅ पाठक ने 1965 से इस महाविद्यालय से अपने जुड़ाव पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विश्व का प्रथम Knowledge society भारत था।सबसे पुराने विश्वविद्यालय भारत में थे।अभी आश्यकता है ज्ञान पुनर्जागरण की। भारतीय ज्ञान परम्परा को समझने के लिए उन्होने पूरब पश्चिम फ़िल्म के गीत ‘है प्रीत जहां की रीत सदा’ पर ध्यान लगाने के लिए छात्राओं को उत्साहित किया। हमारी सबसे बड़ी कमजोरी knowledge management and marketting की है। भारतीय ज्ञान परंपरा के तीन घटक हैं-
दर्शन, विद्या तथा ज्ञान। दर्शन को समझना, विद्या अर्जित करना और ज्ञान को प्राप्त करना होता है। भारतीय ज्ञान दादी-नानी के नुस्ख़ों में है। नुस्ख़ों को पैकेज करने की ज़रूरत है।उन्होंने
‘सत्यम वद धर्मम चर’ को अपनाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा में चरक तथा सुश्रूत संहिता, आर्किटेक्चर,सिन्धु घाटी, मोहनजोदड़ो सभ्यता, मैक्समूलर की महत्ता की चर्चा की और कहा कि इन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है
इस अवसर पर प्रो इंचार्ज-II डॉ सुमिता तिवारी, बरसर डॉ शोभा सरिता, परीक्षा नियंत्रक I और II डॉ कविता धिरे, डॉ सुनीता हेंब्रम, एनएसएस इंचार्ज डॉ नीलू सहित सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित थे । बड़ी संख्या में छात्राएं इस व्याख्यान से लाभान्वित हुईं। प्रो.इंचार्ज-I प्रो. बिमल मिंज ने मंच का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।

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