एस.एस.एल.एन.टी. महिला महाविद्यालय में दो महान व्यक्तित्वों की जयंती मनाई गई।

एस. एस. एल एन.टी. महिला महाविद्यालय के लक्ष्मीनारायण सभागार में राष्ट्रकवि स्वर्गीय रामधारी सिंह दिनकर एवं विनोद बिहारी महतो की जयंती मनाई गई।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रकवि दिनकर जी एवं स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की तस्वीरों पर पुष्पांजलि देकर हुई।मंच संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता हेम्ब्रम एवं डॉ. धीरज ने किया।प्राचार्या डॉ शर्मिला रानी ने बताया कि स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो ने’पढ़ो और लड़ो’का नारा दिया।

उन्होंने पिछड़े तबकों के उठाने की दिशा में बहुत कार्य किया। हम सब उनके ऋणी हैं। उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर के साहित्य यात्रा की चर्चा की।उनकी ओजस्व रचनाओं रश्मिरथी, उर्वशी और कुरुक्षेत्र की चर्चा की।

उन्होंने एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक बार राष्ट्रकवि और नेहरू जी कहीं जा रहे थे तब नेहरु जी अचानक लड़खड़ा गए थे तब राष्ट्रकवि ने नेहरूजी को थामते हुए कहा था-‘ जब राजनीति लड़खड़ाती है तो साहित्य उसे संभालता है’। डॉ धीरज ने राष्ट्रकवि दिनकर और स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो के साहित्य और समाज में योगदान को बताया।प्रो इन्चार्ज प्रो. बिमल मिंज ने सांस्कृतिक मूल्यों को आगे बढ़ने कीबात कही।

और छात्राओं को साहित्य रचना करने की ओर उन्मुख किया।बी. एड. इन्चार्ज प्रो सुजाता मिश्र ने हिंदी के प्रति अपने प्रेम का वर्णन किया। शोधार्थी दीपक ने बताया उन्होंने ‘ पढ़ो और लड़ो’ को जिया है। उन्होंने रश्मिरथी के तृतीय सर्ग की कुछ पंक्तियों को सुनाया।

हिन्दी विभाग की शोधार्थी शिवानी दिनकर की कविता का पाठ किया।डॉ शांता बड़ाइक ने भी अपना अनुभव साझा किया और छात्राओं को पुस्तकालय का अधिक प्रयोग करने को प्रोत्साहित किया।

डॉ मीता मालखंडी ने भी दोनों महापुरुषों के विचारों से छात्राओं से अवगत कराया।इस अवसर पर प्रो.इन्चार्ज II डॉ सुमिता तिवारी,परीक्षा नियंत्रक डॉ.कविता धीरे,एवं सभी शिक्षक और शिक्षिकाएं उपस्थित थे। डॉ धीरज ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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