विश्व आदिवासी दिवस : एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय में मनाया गया ‘हमारी धरोहर हमारी संस्कृति

एस. एस. एल.एन टी महिला महाविद्यालय के लक्ष्मीनारायण सभागार में आज दिनांक 14 /08/24 को ‘विश्व आदिवासी दिवस – हमारी धरोहर हमारी संस्कृति’ मनाया गया। डॉ सुनीता हेम्ब्रम ने मंच का संचालन करते हुए माननीय कुलपति महोदय प्रो (डॉ) राम कुमार सिंह ,सी. सी. डी. सी. डॉ.आर.के. तिवारी ,पूर्व संकायाध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ देबजानी विश्वास का स्वागत किया।

कार्यक्रम का आग़ाज़ भगवान बिरसा मुंडा एवं स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो को पुष्पांजलि देकर दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।छात्राओं ने माननीय कुलपति एवं अतिथियों के स्वागत में संथाली स्वागत गान प्रस्तुत किया। डॉ सुनीता हेम्ब्रम एवं प्रो नीरजा खाखा विभिन्न जनजातिय भाषाओं में स्वागत के लिए प्रयुक्त शब्दों को बताया।

डॉ .शर्मिला रानी ने अतिथियों का स्वागत हरित पॉट से किया। प्राचार्या ने अपने स्वागत भाषण में माननीय कुलपति एवं अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि हम मितभाषी ,विद्वान माननीय कुलपति के संरक्षण में आगे बढ़ते जाएंगे। उन्होंने सी सी डी सी डॉ. आर.के तिवारी सर के हस्ताक्षर से कॉलेज के साइंस ब्लॉक के निर्माण के लिये कोटिशः धन्यवाद दिया। प्राचार्या ने कहा डॉ देबजानी विश्वास को अपने बीच पाकर हम गौरवान्वित हैं।

उन्होंने मीडिया ,सभी शिक्षकों एवं छात्राओं का स्वागत किया। प्राचार्या ने आदिवासी संस्कृति से जुड़ी रीति रिवाजों से अवगत कराया।उन्होंने ने बताया आज का कार्यक्रम का थीम है -‘आदिवासी वेश -भूषा’. छात्राओं ने संथाली नृत्य प्रस्तुत कर समां बांध दिया।

आदिवासी जीवन के रंग बिरंगे पहलुओं को दर्शाता संथाली नृत्य ने दर्शकों का मन मुग्ध कर दिया।बी. एड.की छात्राएं अनुषा एवं अनुशिखा ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन किया.

डॉ .मीता मलखंडी ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन द्वारा झारखंड के विभिन्न लोक नृत्यों जैसे- करमा ,हुनता , पाइका , छऊ, फगुआ, सरफा,करसा, लंगरे,ढ़ोंगर, पाटा ,डसाई, सरहुल और बहा ,फ़िरकल,मुण्डारी, बराओ, झिटका डांगा, लहसुआ,डोमकच,घोरा नृत्य,जदूर गति नृत्य,नटूआ, धुडिया ,झूमर नृत्यों के बारे में बताया।

संथाली समाज मे उम्र में बड़े और छोटे , कैसे मिलते है समधि मिलन कैसे होता है ,विवाह कैसे होता है ,एक मनोरंजक झांकी द्वारा प्रस्तुत की गई। डॉ .देबजानी विश्वास ने अपने भाषण में सबों को अपनी संस्कृति का सम्मान और उसके मूल रूप को बनाये रखने की अपील किया और आदिवासी दिवस की बधाई दिया।

राजस्थानी नृत्य द्वारा छात्राओं ने दर्शकों का दिल जीत लिया। सी. सी. डी. सी. डॉ आर के तिवारी सर ने बताया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। उन्होंने आदिवासियों के त्याग की बात कही।उन्होंने कहा आदिवासियों ने हमेशा पूरी वसुधा को अपना समझा।

उन्होंने सिधू कान्हू,नीलाम्बर पीताम्बर,फूलों जानो जैसे नामों को उद्धृत करते हुए कहा ये सभी के साथ मित्रवत रहते हैं। माननीय कुलपति महोदय ने बताया वो प्रकृति के बहुत करीब रहे हैं, ये जीवन कठिन होता है।उन्होंने कुँए में तैरने के तरीके से सबों को परिचय कराया, शहरीकरण ने आदिवासियों को नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि हर नृत्य को भौगोलिक संकेत-GI मिल सकता है जो कि एक बड़ी उपलब्धि होगी।

संस्थान के लिए माननीय कुलपति ने साधारण खाने पीने की चीजों को भी पेटेंट भी करवाने के तरीक़ों से अवगत कराया साथ ही महुआ के स्वास्थ्यवर्धक गुणों को बताया। उन्होंने कहा आदिवासियों के पास ज्ञान विज्ञान का भंडार है पर आधुनिक तकनीक नहीं है कि उसे सब तक पहुंचा सकें।

अतः उन्होंने पेटेन्ट और GI को बढ़ावा देने के लिए उत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में छात्राओं को विभिन्न इवेंट के लिए कुलपति महोदय ने प्रशस्ति पत्र दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रो.इंचार्ज बिमल मिंज के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया।

Categories:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *