स. एस. एल.एन.टी. महिला महाविद्यालाय में मनाया गया अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस का जश्न।

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस प्रतिवर्ष, ८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों की सराहना के लिए उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। महाविद्यलाय में बैंगनी रंग की साड़ी का थीम रखा गया था. सबसे पहला दिवस, न्यूयॉर्क नगर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। आज के उत्सव की मुख्य अतिथि बी.बी.एम. के. विश्वविद्यालय की First Lady श्रीमती मनोरमा दास थी. डॉ. देवयानी विश्वास पूर्व छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि थी।

महाविद्यलाय में बैंगनी रंग की साड़ी का थीम रखा गया था. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलं के साथ हुआ.प्राचार्या डॉ. शर्मिला रानी और प्रो. इंचार्ज डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत शॉल और पौधा देकर किया. प्रो इंचार्ज डॉ. सरिता श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण दिया और बताया अनेक कार्यक्रमों के सफल संचालन के बाद आज महिला दिवस का समापन समारोह मनाया गया. उन्होंने महिलाओं को अपनी शक्ति को जानना और समझना होगा. उन्हें आत्मनिर्भर बनना होगा. छात्राओं ने भाषण, कविता और सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा महिलाओं की पूर्व और वर्तमान स्थितयों को दर्शाया. छात्राओं ने सबसे ज्यादा लिंग असमानता, भ्रूण हत्या जैसे विषयों पर अंजलि, पूजा, ज्योत्सना , निधि ने अपने विचार रखे. बेशक महिलाएँ प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं इसका ज्वलंत उदाहरण है।

इस महाविद्यालाय छात्राओं और शिक्षिकाओं की संख्या. इतिहास विभाग की प्रो. लक्ष्मी, कॉमर्स की प्रो. प्रीति प्रो. इंदु लालिमा ने अपने विचार व्यक्त किया. प्रो. लालिमा ने भिखारिनो की समस्या पर कविता प्रस्तुत किया.इतिहास विभाग की प्रो. वीणा झा ने महिला शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा की स्तुति किया. संस्कृत विभाग की प्रो. मीना ने मधुर गीत प्रस्तुत किया।  मंच का संचालन एकता और राजप्रिया ने किया. स्किट के द्वारा महिलाओं की मजबूरी और उस पर विजयी होते दर्शाया गया।

प्राचार्या ने महिला दिवस का इतिहास और महत्व बताते हुए कहा कि महिला दिवस एक दिन ही क्यों. हमारा संविधान लिंग, जाति के आधार पर कोई भेद नहीं. महाभारत में भी माता की प्रमुखता थी. Tribes में आज भी महिलाओं की स्थिति काफी सशक्त है।  महिलाएँ multitaskers होती हैं क्योंकि महिलाओं के ब्रेन का लेफ्ट hemisphere ज्यादा सक्रिय होता है. उन्होंने समाज और व्यवस्था में बदलाव की बात की.शिक्षा सशक्तिकरण का एकमात्र साधन है. विशिष्ट अतिथि डॉ. देवयानी विश्वास ने महिला दिवस की बधाई देते हुए अपने अनुभवों को साझा किया. उन्होंने कहा कि 2022 में एक प्रस्ताव रखा था कि महिला दिवस की जगह पर मानव दिवस मनाया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि महिला दिवस की घोषणा के 48 वर्ष हो गए।  नारी स्वतंत्रता का अर्थ पुरुषों का विरोध कतई नहीं स्व को सही बनाने के लिए शिक्षा और आत्मनिर्भरता अति आवश्यक है. अभी भी बेटा- बेटी बराबर नहीं है. अतः बेटिओं को सम्मान देना ज़रूरी है. महिलाएँ अपनी शक्ति को पहचानें. विश्वविद्यालय की प्रथम महिला डॉ. मनोरमा दास ने अपने अनुभवों को साझा किया और अपने आशीर्वचन दिया. अंत में प्रो.विमल मिंज ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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